हिंद महासागर में चीन के युद्धपोतों एवं पनडुब्बियों पर नजर रखने के लिए भारतीय नौसेना गुरुवार को अंडमान एवं निकोबार द्वीप में अपना तीसरा एयर बेस खोलेगी। रिपोर्ट में सैन्य अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि भारत इस बेस के जरिए मलक्का जलडमरूमध्य से होकर हिंद महासागर में दाखिल होने वाले चीनी युद्धपोतों एवं पनडुब्बियों की निगरानी कर सकेगा।
भारत ने हाल के दिनों में अपने पड़ोस में चीनी नौसेना की उपस्थिति और श्रीलंका से लेकर पाकिस्तान तक बनने वाले उसके वाणिज्यिक बंदरगाहों पर चिंता जताई है। भारत को आशंका है कि इन बंदरगाहों को नौसिक अड्डों में बदला जा सकता है। चीन की इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय सेना ने अंडमान द्वीप को चुना है। अंडमान द्वीप मलक्का जलडमरूमध्य के प्रवेश मार्ग के समीप स्थित है।
नौसेना ने एक बयान में कहा कि एडमिरल सुनील लांबा नए बेस आईएनएस कोहासा को नेवी को समर्पित करेंगे। यह बेस राजधानी पोर्ट ब्लेयर से करीब 300 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस द्वीप पर यह तीसरा सैन्य बेस है। नौसेना के प्रवक्ता डीके शर्मा ने बताया कि आगे की योजना इस रनवे का विस्तार कर 3000 मीटर तक ले जाने की है ताकि लड़ाकू विमान यहां से उड़ान भर सकें।
नौसेना के पूर्व कमॉडोर अनिल जै सिंह ने कहा, 'चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है और वास्तव में हमें यदि उसकी उपस्थिति की निगरानी करनी है तो अंडमान द्वीप में पर्याप्त रूप से तैयार रहने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि यदि यहां पर हमारे एयर बेस होंगे तो हम बड़े इलाके की निगरानी कर पाएंगे। पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नौसेना आने वाले समय में अपने युद्धपोतों की स्थाई रूप से तैनात करेगी।
भारत ने हाल के दिनों में अपने पड़ोस में चीनी नौसेना की उपस्थिति और श्रीलंका से लेकर पाकिस्तान तक बनने वाले उसके वाणिज्यिक बंदरगाहों पर चिंता जताई है। भारत को आशंका है कि इन बंदरगाहों को नौसिक अड्डों में बदला जा सकता है। चीन की इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय सेना ने अंडमान द्वीप को चुना है। अंडमान द्वीप मलक्का जलडमरूमध्य के प्रवेश मार्ग के समीप स्थित है।
नौसेना ने एक बयान में कहा कि एडमिरल सुनील लांबा नए बेस आईएनएस कोहासा को नेवी को समर्पित करेंगे। यह बेस राजधानी पोर्ट ब्लेयर से करीब 300 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस द्वीप पर यह तीसरा सैन्य बेस है। नौसेना के प्रवक्ता डीके शर्मा ने बताया कि आगे की योजना इस रनवे का विस्तार कर 3000 मीटर तक ले जाने की है ताकि लड़ाकू विमान यहां से उड़ान भर सकें।
नौसेना के पूर्व कमॉडोर अनिल जै सिंह ने कहा, 'चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है और वास्तव में हमें यदि उसकी उपस्थिति की निगरानी करनी है तो अंडमान द्वीप में पर्याप्त रूप से तैयार रहने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि यदि यहां पर हमारे एयर बेस होंगे तो हम बड़े इलाके की निगरानी कर पाएंगे। पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नौसेना आने वाले समय में अपने युद्धपोतों की स्थाई रूप से तैनात करेगी।
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