इतिहास की सबसे बड़ी मुश्किल का सामना कर रही कांग्रेस लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी और भाजपा को हराने के लिए उन छोटे दलों के सामने भी झुक रही है, जिन्हें कभी वह हिकारत की नजर से देखती थी, लेकिन फिलहाल बेहद कमजोर कांग्रेस अब उनकी बेजा मांगों को भी स्वीकार करने को बाध्य है।
ताजा मामला कर्नाटक के क्षेत्रीय दल जनता दल एस का है जिसे बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले वह राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से सिर्फ चार सीट देने को राजी थी, लेकिन एयर स्ट्राइक के बाद बदले राजनीतिक माहौल में कांग्रेस को उसके लिए आठ सीट देनी पड़ी हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल में उसे वाम दलों की भी ऐसी मांग का सामना करना पड़ रहा है। वे भी कांग्रेस से अपनी ताकत से ज्यादा लोकसभा सीट मांग रहे हैं।
राजनीतिक मामलों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस छोटे दलों के सामने झुककर उस बड़े राजनीतिक लक्ष्य को साधना चाहती है जिसकी राह में ये छोटे दल सबसे बड़ी बाधा हैं। भाजपा और नरेन्द्र मोदी के बढ़ते ग्राफ की सम्भावना को देखते हुए इन दलों का सोच है कि इस समय कांग्रेस दबाव में है और यह उससे मोल—भाव करने का सही समय है।
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